पाँच दिवसीय भारतीय फिल्म महोत्सव 2018 के महापर्व ने बुन्देलखण्ड की धरती पर जो अलख जगाई है वह अपने आप में ऐतिहासिक छाप छोड़ती है। प्रयास प्रोडक्शन के सौजन्य से यह आयोजन रुद्राणी बुंदेली कलाग्राम ओरछा की पावन धरा पर संपन्न हुआ। पावन भूमि पर पावन नक्षत्र पुष्य में इस आयोजन की रूपरेखा की नींव रखी बुन्देलखण्ड के साहसिक व्यक्तित्व राजा बुंदेला ने, जो आज किसी परिचय अथवा विशेषण के मोहताज़ नहीं हैं। उनके कदम से कदम मिलाकर इस महोत्सव को सफल बनाने का दायित्व लिया रंगमंच और सिनेजगत की सशक्त अदाकारा सुष्मिता मुख़र्जी और उनके सहयोगी बॉलीवुड के निर्देशक राम बुंदेला ने।
भारतीय सिनेजगत की हस्तियाँ महोत्सव में न केवल शामिल हुईं वरन सम्मानित भी हुईं। लोकांचल का महापर्व सिनेमाई रंगीनियों से पाँचों दिन रंगारंग रहा। अभिनेत्री रोहिणी हट्टंगड़ी भारत गौरव सम्मान से, नफीसा अली राय प्रवीण सम्मान से, यशपाल शर्मा राजा गंगाधर राव सम्मान से, निर्देशक केतन आनन्द और रजित कपूर अभिनेता ए०एन० अंसारी सम्मान से अलंकृत हुए। बॉलीवुड के लीजेंड्री निर्देशक मनोहर खुशलानी भी इस महोत्सव का हिस्सा बन सम्मानित हुए।
महोत्सव का श्रीगणेश लोक कवि ईसुरी सम्मान से सम्मानित राज्यमंत्री उ०प्र० शासन माननीय हरगोविंद कुशवाहा ने किया और उन्हीं के उद्बोधन से महोत्सव का समापन हुआ। इस महापर्व में भारत सरकार केंद्रीय राज्य मंत्री माननीय डॉ० वीरेंद्र कुमार, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री भारत सरकार माननीय ललिता यादव, श्री मानवेंद्र सिंह जिलाधिकारी ललितपुर, श्री अभिजीत अग्रवाल कलेक्टर टीकमगढ, श्री प्रेम सिंह चौहान एसडीएम निवाड़ी, श्री दिनेश तिवारी सीएमओ ओरछा, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री अभय प्रताप सिंह, पूर्व विधायक श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने अपनी गौरवशाली उपस्थिति देकर आम जनता के साथ दर्शकदीर्घा में चलचित्रों, नाटकों और बुंदेली लोककलाओं के आनंद को साझा किया।
रुद्राणी बुंदेली कलाग्राम के इस आयोजन ने हर क्षेत्र के चयनित प्रतिनिधियों का सम्मान किया। रामलीला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम देने वाले उरई के श्री अयोध्या प्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ को बाबू वृंदावन लाल वर्मा सम्मान प्रदान किया गया। झाँसी के श्री विवेक मिश्र को मुंशी प्रेमचंद सम्मान प्रदान करने के साथ उनकी पुस्तक डॉमनिक की वापसी लोकार्पित हुई। ज्ञातव्य हो कि उनकी कहानी हनिया पर राजा बुंदेला फ़िल्म निर्माण कर रहे हैं। प्रख्यात उपन्यासकार महेंद्र भीष्म की एक अप्रेषित पत्र (चतुर्थ संस्करण) लोकार्पित होने के साथ उनको मैथिली शरण गुप्त सम्मान प्रदान किया। इसी अवसर पर उनकी अध्यक्षता में उनके नाटक तीसरा कम्बल की समर्पयामि टीकमगढ समूह (निर्देशक गीतिका वेदिका) ने विश्वपटल पर इक्कीसवीं प्रस्तुति दी। मुम्बई के अज़ीम शाइर श्री रमीज़ दत्त को गीतकार इंदीवर सम्मान प्रदान कर उनकी मकबूल शायरी का रसास्वादन किया। इसी क्रम में बुन्देलखण्ड की नामचीन हस्तियाँ भी सम्मानित हुईं।
सम्मान महेन्द्र भीष्म
इसी श्रंखला में समाजसेवियों को भी सम्मानित किया गया। सोनी तालबेहट नगर पंचायत अध्यक्ष सुश्री मुक्ता सोनी झलकारीबाई सम्मान से, समाजसेवी सुश्री अर्चना गुप्ता वीरांगना अवंतिबाई सम्मान से, अर्जुन अवॉर्डी ओलंपियन हॉकी श्री अशोक ध्यानचंद, श्री आलोक सोनी कवि जगनिक सम्मान से, श्री आर०पी०निरंजन (प्रतिनिधि विधायक परिषद उ०प्र०) ए०पी०जे० अब्दुल क़लाम सम्मान से विभूषित हुए।
निर्देशक मनोहर कौशलानी और सुष्मिता मुखर्जी संग संयोजिका गीतिका वेदिका
इसके साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में योगदान देने वाले प्रतिनिधि भी सम्मानित हुए। जिनमें संतराम, पवन शर्मा, रीमा जी, पत्रकार कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, अहिवरन सिंह, उमेश यादव, पं० विपिन बिहारी महाराज चित्रकूट, अजीत सिंह, डॉ० आर०आर० सिंह, प्रकाश गुप्त एवं झाँसी सदर बाज़ार से नारायण चाट भंडार प्रमुख रहे।
विशेष तथ्य-
• बुंदेली परम्परा के अनुसार चारपाई व मचान वाली शयन व्यवस्था
• पीने के लिए मिट्टी के घड़ों का शीतल जल
• रुद्राणी बुंदेली कलाग्राम मुक्ताकाशी मंच की बुंदेली घरगूला सी पार्श्वसज्ज़ा
• बुंदेली परिवेश के रंगों से सुसज्जित कई चित्रकारों की चित्रकला वीथिका
टपरा टॉकीज अवधारणा
इंडियन फ़िल्म फेस्टिवल ओरछा 2018 की आधारशिला टपरा टॉकीज की अवधारणा थी। टपरा टॉकीज का विलुप्तीकरण होना चिन्ताजन्य विषय है। जिससे आमजन की फ़िल्म से दूरी बन जाती है। यही उद्देश्य लेकर दो टपरा टॉकीज की स्थापना की गई। जिनमें टपरा टॉकीज – एक में बॉलीवुड की चुनिंदा फीचर फिल्मों के शो चले और टपरा टॉकीज – दो में बुन्देलखण्ड के निर्माता/निर्देशक/ अभिनेताओं की फिल्में, लघुफिल्म और वृतचित्र आदि शामिल रहे। उन फिल्मों के निर्देशकों को सम्मानित कर उनकी फिल्मों को मंच दिया गया।
रुद्राणी कलाग्राम का विहंगम दृश्य – टपरा टॉकीज
महोत्सव दैनन्दिनी
महोत्सव का प्रारम्भ भोर की बेला से होने लगता था। योगगुरु इंद्रजीत योगी की योग्याभ्यास की कक्षाएं तन-मन को स्फूर्तिदायक बनाने में उपयोगी सिद्ध हुईं। तत्पश्चात स्नानध्यान के बाद बुंदेली संस्कृति में कलेवा होना और दोपहर मुम्बई से आये हुए निर्देशक/अभिनेता विद्वान मनोहर खुशलानी, केतन आनन्द,नफीसा अली, रोहिणी हट्टंगड़ी अपना अभिनय/ निर्देशन/ तकनीकी ज्ञान को आयोजित कार्यशालाओं में भावी निर्देशक/ अभिनेता से साझा कर उन्हें आगामी फिल्मों के लिए तैयार किया, जो बुन्देखण्ड विश्वविद्यालय के कलावर्ग के छात्र थे। इसके पश्चात के समय टपरा टॉकीज में चयनित सामयिक/सामाजिक फिल्मों के निःशुल्क शो चलते थे, जिन्हें जनता बड़े ही उत्साह से देखती थी। साँझ की जुन्हाई से देर रात्रि तक सांस्कृतिक-रंगारंग प्रस्तुतियाँ मन को मोहने वाली होती थीं। गीतिका वेदिका व आरिफ़ शाहडोली द्वयमंचसंचालन में नाटक हरदौल, चट्टान, तीसरा कम्बल, सैयाँ भये कोतवाल, ढ़ड़कोला, दस्तक के साथ बुंदेली परम्परा की राई, बधाई, लमटेरे, सुअटा, फागें, दीवारी, बृज की होरी, सोहरे के मुम्बई की प्रस्तुतियों के संगम रहे। विशेष रूप से जयकरण निर्मोही की प्रस्तुति बुन्देलखण्ड राज चाहिये दर्शकों का मन मोह ले गयी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
भारतीय फिल्म समारोह (इफफो) के आयोजन से क्षेत्रीय लोगों को रोज़गार मिलना, रामराजा सरकार की पावन भूमि ओरछा का विश्वविरासत के समकक्ष नाम होना, पर्यटन को बढ़ावा मिलना, बुंदेली लोककलाओं का संरक्षण व संवर्धन एवं मुख्य उद्देश्य टपरा टॉकीज को पुनर्जीवन देना था। इफ़ो का सेट निर्माण भारतीय सिनेमा के मशहूर कलानिर्देशक श्री जयंतदेशमुख ने किया।
नाटक तीसरा कम्बल का भावपूर्ण दृश्य
प्रयास प्रोडक्शन के राजा बुंदेला द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों में उठाये गये साहसिक कदम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। पैंतालीस डिग्री तापमान पर भी उत्साह कम नहीं हुआ। दूर क्षेत्रों से जनता पधारी और उत्साह से आयोजन में शामिल हुई। इस महाआयोजन का धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्व रहा। मन तब भावातिरेक से भर उठा जब मध्यप्रदेश की गंगा माँ बेत्रवती की आरती गंगामैया की तर्ज़ पर की गई। जगमग आरती के उच्च स्वरों के साथ घड़ियाल और झांझर घनघना उठे और समस्त जन ने कवि/अभिनेता आरिफ़ शहडोली रचित व संगीतकार जयकरण निर्मोही संगीतबद्ध आरती को सामूहिक रूप से गाकर अपनी आस्था प्रकट की।
माँ बेत्रवती की आरती
इफ़ो की मुख्य कार्यकारिणी समिति सदस्यों में जगमोहन जोशी, आरिफ़ शहडोली, गीतिका वेदिका, राकेश विश्वकर्मा, डॉ० नईम थे। इफ़ो को अपने अथक परिश्रम से सजाने वाले सदस्यों में मातादीन कुशवाह (रुद्राणी कलाग्राम), ओंकार, अरूण कांटे, अभय द्विवेदी, प्रवीण झा, मनीष दुबे, विराज तिवारी, ज़ावेद खान, दिनेश, नम्रता, साकेत, तेजल, राजेश्वर राज व रोहित आदि का योगदान सराहनीय रहा।
18 मई से 22 मई तक चले इंडियन फ़िल्म फेस्टिवल ओरछा 2018 में जनता जनार्दन ने भागीदारी कर उत्तरोत्तर सफलता के आयाम स्थापित किये। आने वाले वर्ष में स्थापित रूप से यह महाआयोजन नए कीर्तिमान गढ़ेगा।
गीतिका वेदिका संयोजिका व उद्घोषिका
भारतीय फिल्म महोत्सव ओरछा 2018
(लेखिका साहित्यकार व अभिनेत्री हैं) सम्पर्क – 9826079324
छायाचित्र व सौर्स साभार – http://www.bundeli.org