नागपुर ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ) – राज्य में चल रही विभिन्न कोचिंग क्लासेस के लिए महाराष्ट्र सरकार कानून बनाने का मन बना बैठी है. कोचिंग क्लासेस के नाम के तले शिक्षा क्षेत्र में जो लूट व धोखाधड़ी हो रही है, उसमें बदलाव लाने के लिए महाराष्ट्र सरकार महाविद्यालयों विद्यालयों के लिए विभिन्न नियम लागू कर रही है.
इंटीग्रेटेड शिक्षण प्रणाली के नाम पर शिक्षा क्षेत्र में कोचिंग क्लासेस द्वारा फैलाया गया भ्रम निर्माण करते हुए शिक्षा का बाजारीकरण किया जा रहा है. शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने यह जानकारी देते हुए विधान सभा के सत्र में बताया कि राज्य में फिलहाल 50 हज़ार से अधिक कोचिंग क्लासेस क्रियान्वित हैं. इन कोचिंग क्लासेस के मालिक संचालक शिक्षण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करते हुए एक तरह से अभिभावकों को लूट रहे हैं. सरकार की शिक्षा प्रणाली को चुनौती देते हुए उसके समानांतर एक शैक्षणिक व्यवस्था खड़ी करते हुए विद्यार्थियों को अधिक अंक दिलाने वा मेधावी बनाने का आश्वासन देकर अभिभावकों को लाखों रुपयों में चूना लगाया जा रहा है. इन्हीं विषयों पर विधान सभा के सदस्य पराग आलावणी, नरेंद्र पवार आदि सदस्यों ने विधानसभा का ध्यान आकर्षित किया था.
जिसका उत्तर देते हुए शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने कहा कि शिक्षा का बाजारीकरण करते हुए इंटीग्रेटेड शिक्षा प्रणाली के रूप में एक व्यवस्था निर्माण की जा रही है. जिसमें लाखों रुपए खर्च कर अभिभावक अपने बच्चे को प्रवेश दिलाता है. जिस के उपरांत उसका भावनात्मक शोषण करते हुए उसे लूटा जा रहा है. इस स्थिति को रोकने के लिए महाराष्ट्र के महाविद्यालयों में कक्षा 11 व 12 वीं कि बायोमेट्रिक प्रणाली से उपस्थिति दर्ज करना प्रारंभ की गई है. श्री तावडे ने कहा कि इस गंभीर समस्या पर अभिभावकों ने भी जागृत होते हुए सहयोग करना चाहिए.
ग्रामीण इलाकों के दिन महाविद्यालय को इंटीग्रेटेड मान्यता दी गई है ऐसे महाविद्यालय की मान्यता भी रद्द किए जाने पर विचार किया जा रहा है. विनोद तावडे ने जानकारी दी कि राज्य के सभी निजी अनुदानित गैर अनुदानित अनुदानित एवं अन्य आर्थिक सहायक महाविद्यालयों की विज्ञान शाखाओं में ग्यारहवीं और बारहवीं के प्रवेश के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है. यह योजना राज्य भर में विभिन्न चरणों में पूरी की जाएगी. वर्ष 2018-19 शैक्षणिक काल के लिए मुंबई, पुणे, नाशिक, औरंगाबाद, इन विभागों के सभी कनिष्ठ महाविद्यालय में विज्ञान शाखा के विद्यार्थियों की उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करते हुए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं. जिन महाविद्यालय में विद्यार्थियों की अनुपस्थिति पाई जाएगी ऐसे विद्यार्थियों के खिलाफ शासन कठोर कार्रवाई करेगा. जिसके चलते कोचिंग क्लास की जगह पर विद्यार्थियों की उपस्थिति नहीं ली जा सकेगी .
बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से अनुपस्थित विद्यार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा. विनोद तावडे ने बताया कि शिक्षा प्रणाली में कोचिंग क्लासेस द्वारा जबरन प्रवेश कराई गई इस इंटीग्रेटेड प्रणाली को बंद करने के लिए इससे सहायता प्राप्त होगी. राज्य के कोचिंग क्लासेस पर अधिनियम लागू करने के लिए शिक्षण आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया गया था. इस समिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कार्यवाही प्रारंभ करने की सिफारिश की थी. घरेलू स्तर पर कोचिंग क्लास लेने वाले संस्थानों पर यह कार्यवाही नहीं की जाएगी. इसके अलावा सामान्य लोगों को भी इस कानून की कोई परेशानी नहीं होगी, किंतु इंटीग्रेटेड के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र का बाजारीकरण करने वाली क्लासेस पर इस कानून से अंकुश लगाया जाएगा. राज्य में निजी कोचिंग क्लासेस का बड़े पैमाने पर हो रहा बाजारीकरण व उस के माध्यम से की जा रही लूट पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी. न्यायालय के निर्देश के अनुसार निजी क्षेत्र के कोचिंग क्लासेस पर नियंत्रण लाने की दृष्टि से पूर्व कुलपति प्राध्यापक अशोक प्रधान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया गया था.