– महापौर के समक्ष कांग्रेस व राकां कार्यकर्ताओं की शर्मनाक करतूत
– जलकुंभी काम के टेंडर को लेकर हुआ विवाद
पुणे (तेज समाचार डेस्क). शहर के बीच से गुजरनेवाली नदियों व तालाबों में व्याप्त जलकुंभी निकालने के काम के टेंडर को लेकर कांग्रेस व एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने महापालिका के अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र निंबालकर की पिटाई कर दी. गौर करनेवाली बात यह है कि इस घटना के समय महापौर मुक्ता तिलक व कांग्रेस व एनसीपी के वरिष्ठ नगरसेवक भी मौजूद थे. पर महापौर भी कुछ नहीं कर पायी. सुरक्षा कर्मियों ने आकर निंबालकर को बचाया व उन्हें बाहर ले गए. महापालिका के इतिहास में इस तरह से किसी अतिरिक्त आयुक्त की मारपीट नहीं की गयी थी. इससे महापालिका की खूब आलोचना हो रही है. शाम तक किसी भी पक्ष ने एक-दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी.
– औकात दिखाने से गुस्साए नगरसेवक
जलकुंभी के काम के टेंडर को लेकर सेवानिवृत्त न्यायधीश से जांच कराने की मांग नगरसेवकों द्वारा की जा रही थी. नगरसेवकों द्वारा इस बैठक के लिए आयुक्त को बुलाने की मांग की जा रही थी. तब आयुक्त ने इसके लिए अतिरिक्त आयुक्त को बैठक के लिए भेजा था. निंबालकर के बैठक में आते ही कांग्रेस नगसेवक रविंद धंगेकर ने कहा कि इस मामले की जांच चोर ही कैसे करेगा. धंगेकर के इस बयान से निंबालकर व धंगेकर में शाब्दिक विवाद शुरू हो गया. बाद में नगरसेवक भी निंबालकर की आलोचना करने लगे. ऐेसे में निंबालकर ने कहा कि नगरसेवकों की मनपा में काम करने की कोई औकात नहीं है. निंबालकर के बयान से नगरसेवक गुस्सा गए. सभी नगरसेवक खड़े हो गए. इन लोगों के साथ जो कार्यकर्ता वहां उपस्थित थे, वह भी खड़े हो गए व निंबालकर की ओर बढ गए. फिर भी निंबालकर नहीं रूके व गुस्साते चले गए. तब कार्यकर्ताओं ने निंबालकर की पिटाई शुरू कर दी. इसके बावजूद निंबालकर नगरसेवकों की औकात ही निकाल रहे थे. ऐसे में किसी कार्यकर्ता ने उनकी ओर चप्पल भी फेंकी. यह सब महापौर मुक्ता तिलक के समक्ष ही हो रहा था. इस बैठक के लिए कांग्रेस के गुटनेता अरविंद शिंदे, नगरसेवक अविनाश बागवे, लता राजगुरू, रवींद्र धंगेकर, चेतन तुपे, विपक्षी नेता दिलीप बराटे, भैयासाहेब जाधव, उपस्थित थे.
– सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराई जाएगी जांच
निंबालकर के जाने के बाद महापौर ने इन नगरसेवकों को आश्वासन दिया कि इस टेंडर की जांच सेवानिवृत्त न्यायधीश से कराई जाएगी. उसके बाद ये लोग शांत हुए. उसके बाद प्रशासन द्वारा इसकी शिकायत करने को लेकर गतिविधियां चल रहीं थी कि लेकिन शाम तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गयी थी. साथ ही नगसेवकों द्वारा भी कोई शिकायत नहीं की गयी है.
– टेंडर की जांच कराने की मांग की जा रही थी
ज्ञात हो कि शहर के बीच से जो नदियां गुजरती हैं, साथ ही शहर में जो तालाब हैं, वहां पर जलकुंभी का प्रमाण बढ़ गया है. इससे मच्छरों की तादाद बढ़ गयी है. नतीजा नागरिक बीमार हो रहे हैं. इस वजह से जलकुंभी निकालने का काम मनपा प्रशासन द्वारा ठेकेदार को दिया जाता है. हाल ही में महापालिका प्रशासन की ओर से इससे संबंधित टेंडर मंगाए गए थे. इससे संबंधित टेंडर भी ओपन किए गए है. लेकिन इसको लेकर अब विवाद हो रहा था. विगत हफ्ते से यह विवाद हो रहा था. क्योंकि 3 साल के काम के लिए जहां 7 से 8 करोड़ खर्च करने हैं, वही टेंडर 23 करोड़ आया है. इस वजह से विपक्षी पार्टियां गुस्सायी थी. इस वजह से कांग्रेस व एनसीपी के नगरसेवकों द्वारा महापौर दालन में इसको लेकर सोमवार को आंदोलन किया गया. आंदोलन के बाद महापौर व नगरसेवक चर्चा कर रहे थे. इसमें कांग्रेस व एनसीपी के नगरसेवकों ने मांग की थी कि इस पूरे मामले की सेवानिवृत्त न्यायाधीश के माध्यम से जांच हो. इसको लेकर ही बैठक में चर्चा हो रही थी. ऐसे में अचानक विवाद शुरू हो गया.