पुणे (तेज समाचार डेस्क). कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग राष्ट्रवादी कांग्रेस के मुखिया शरद पवार को तलब करेगा. इसकी जानकारी आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जे एन पटेल ने दी है. सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने अपने वकील प्रदीप गावड़े के जरिए आयोग के समक्ष आवेदन दायर किया है. इसमें 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा के बारे में मीडिया में दिए गए कुछ बयानों को लेकर राष्ट्रवादी के मुखिया शरद पवार को तलब करने का अनुरोध किया गया था.
– पवार ने गिरफ्तारियों पर उठाए हैं सवाल
पवार ने पुणे के शनिवार वाड़ा पर हुई यलगार परिषद, जिसे पुणे पुलिस भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए जिम्मेदार मान रही है, के संयोजन में नक्सली कनेक्शन के आरोप तले सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने इस पूरे मामले में पुणे पुलिस की भूमिका पर संदेह जताते हुए जांच के लिए एसआइटी के गठन की मांग की थी.उन्होंने अपने बयान में भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में भी कुछ जानकारियां दी थी.इसके अनुसार इस मामले में उन्हें तलब करने की मांग की गई थी.अब जांच आयोग ने पवार से तलब करने का मन बना लिया है.
– दो सदस्यीय आयोग के समझ बुलाने का अनुरोध
एड प्रदीप गावड़े के इस आवेदन में पवार को दो सदस्यीय आयोग के समक्ष गवाही देने के लिए बुलाने का अनुरोध किया था.अपनी याचिका में शिंदे ने 18 फरवरी को पवार की तरफ से बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन का हवाला दिया है.इसमें पवार ने आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं – मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े ने पुणे शहर की सीमा पर स्थित कोरेगांव-भीमा और उसके आस-पास के इलाकों में एक “अलग” माहौल पैदा कर दिया था.शिंदे ने कहा, “इसी संवाददाता सम्मेलन में, पवार ने आरोप लगाया था कि पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है और इसकी जांच की जानी चाहिए.
– जांच में मिलेगी मदद
उन्होंने कहा कि पवार के ये बयान इस जांच आयोग के विचारार्थ विषयों के दायरे में आते हैं और इसलिए वे प्रासंगिक हैं.उन्होंने कहा कि उसके पास यह विश्वास करने के कारण हैं कि पवार के पास प्रासंगिक एवं अतिरिक्त सूचनाएं हैं.ये उन सूचनाओं से अलग हैं जो उन्होंने हिंसा तथा अन्य संबंधित मामलों के संबंध में आयोग के समक्ष पूर्व में दायर हलफनामे में साझा की हैं.इसलिए, न्याय के हित में, यह आवेदक आयोग से पवार को तलब करने की और उनसे व्यक्तिगत तौर पर गवाही देने के लिए तथा उनके पास मौजूद और सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए कहने की प्रार्थना करता है ताकि आयोग निष्पक्ष एवं न्याय संगत तरीके से अपने परिणामों तक पहुंच सके.