भीषण गर्मी से सुख गया जनुना तालाब, गाद निकालना जरुरी
खामगाव (फारुक सर तेजसमाचार के लिए )- इस वर्ष कम बारिश के चलते जिले में जल किल्लत ने विकराल रूप धारण कर रखा है. इस वर्ष गरबी इतनी बढ़ गई है कि मार्च महीने में ही खामगांव का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. धूप कितनी तेज और चटकीली है कि सुबह 11:00 बजे से ही धूप के झटके लगने महसूस होते हैं . इतना ही नहीं लोग अपने सिरों पर रुमाल इसका आदि लपेट कर बाजार में घूम रहे हैं ,और गर्मी इतनी शबाब पर है. इतनी भीषण गर्मी है कि जनुना तालाब जहां 28 फरवरी को तालाब में अच्छा खासा पानी था. लेकिन एक महीने के भीतर 28 मार्च तक तालाब का पूरा पानी सुख चुका है. इतना ही नहीं जानू ना तालाब का बगीचा भी सूखने की कगार पर आ गया है. पौधे पेड़ सभी सुख रहे हैं. जबकि नगर पालिका पर इस बगीचे की देखभाल करने की जिम्मेदारी है लेकिन अफसोस की इस तालाब का कोई वाली नहीं एक समय ऐसा था जब लोग यहां पर पिकनिक मनाने के लिए जाया करते थे.
जनुना तालाब कल और आज
खामगाव समीप जनुना तालाब से लगभग 133 वर्ष पूर्व खामगाव शहर को जलपूर्ती की जाती थी. नगर पालिकाने इसे 1885 मे निर्मित कीया था. जिसके तहेत कई वर्षो तक खामगाव शहरवासीयो को जलपूर्ती की जाती थी. कुछ वर्षो से इस तालाब की ओर ध्यान नही दिया जा रहा है जिस कारण तालाब का जल खराब हो चुका. नगरपालिकाने यहापर एक अच्छा और आकर्षक बगीचा भी बनाया था. एक समय यहापर लोग पीकनिक मनाने के लिए आते थे. नगर पालिकाने यहापर एक अच्छा प्रवेशद्वार बनाया था. इस प्रवेश द्वार पर विविध प्राणीयो की मूर्तीया तैयार की गयी थी जो की जनुना तालाब बगिचेका आकर्षण था. यहापर तिलक राष्ट्रीय विद्यालय के द्वारा यह मूर्तीया निर्मित की गयी थी. दरसल भारतीय जैन संघटन (बीजेएस) इस सेवाभावी संस्था के अध्यक्ष शांतीलाल मुथ्था ने राज्य की १७५ से अधिक तहसीलो के तालाब, बांध और नदीयो का गाल निकालकर जलक्षमता बढाना तथा निकाले गये गात को किसानो के खेत मे दालकर फसल उत्पादन बढाने का उपक्रम भी लिया था. जिसे राज्य सरकार और बीजेएस के संयुक्त तत्वधान मे राज्य को सुखा मुक्त करने का अभिनव उपक्रम चलाया गया. जैसे जैसे खामगाव शहर की जनसंख्या बढती गयी इस तालाब का पानी की कमतरता म्हैसूस होने लगी तब सरकारने खामगाव वासीयोको गेरु माटरगाव के ज्ञानगंगा बांध से जलपूर्ती करना शुरु की. जिस कारण जनुना तालाब के पानी का उपयोग बंद कर दिया गया. वर्षोसे इस पानी के उपयोग नही करने से पानी खराब हो चुका था. लेकीन नगर पालिका ने इस पानी मे मच्छलीयोके बिज डाले और मच्छलियोके व्यवसाय करनेवालो ने इस तालाब से मच्छलियोका व्यवसाय कीया. यदी इस तालाब के जल को खामगाव, एमआयडीसी को दिया जाता तो गेरु माटरगाव के ज्ञानगंगा बांध से एमआयडीसी को जलपूर्ती नही करना पडती. एक जमाने मे इस तालाब मे बोटींग की व्यवस्था भी की गयी थी जिसके तहेत मनोरंजन (पीकनिक) के लिये जानेवाले नागरिकोको बोट मे सवार होकर आनंद लुटने का मजा आता था. इस के अलावा बगिचे मे बच्चो के लिए खिलोने, झुले, विविध प्रकार के फुल, पौधे आदीसे पीकनिक मे नागरिको को एक अच्छा वातावरण प्राप्त होता था. लेकीन आज यहा की खस्ता हालत होने के कारण नागरिक तालाब पर जाना पसंद भी नही करते. तालाबपर फिलहाल मे जो व्यवस्था जानवरो की मूर्तीया, बगिचेकी साफसफाई और देखभाल मे जो अनदेखी नगर पालिका द्वारा की जा रही है इसको ध्यान मे रखते हुए नगरपालिका प्रशासनने खामगाव नगरवासीयो के लिए अधिक मनोरंजन के साधन, सुविधा उपलब्ध करने की मांग भी नगरवासीयोद्वारा की जा रही है.
जनुना तालाब से गाद निकालना बेहद जरूरी
जिले में लघु बांधों की संख्या एक ऐसी है जिसमें खामगांव समीप जमुना तालाब का भी समावेश है एक समय में खामगांव शहर को इसी तालाब से जल पूर्ति की जाती थी लेकिन आज खामगांव शहर को गेरू माटरगांव के ज्ञान गंगा बांध से जल पूर्ति शुरू है साथ ही शासन ने खामगाववासियों को जल पूर्ति के लिए शिरला नेमाने के मन प्रकल्प से जल पूर्ति योजना मंजूर की है जिसका लगभग 65 करोड रुपये का कार्य शुरू है इस योजना मे आवार गाव मे एक फिल्टर प्लान्ट और पानी एक बडी टंकी तथा पानी की एक बडी टंकी रावण टेकडी खामगाव निर्मित की जायेगी इस योजना के तहत खामगाव शहर वासीयो की जल समस्या स्थाई रुप से खत्म हो जाएगी.
जनुना तालाब तालाब का इस वर्ष यदि गाज निकाल दिया जाता है तो आगामी बरसात के मौसम में बारिश का पानी अच्छा खासा जमा हो सकता है और यह पानी परीसर के खेतों मे सिंचाई के लिए और जानवरों के पीने के लिए काम आ सकेगा