पुणे (तेज समाचार डेस्क). भीमा-कोरेगाव हिंसा प्रकरण में गिरफ्तार किए गए एक्टिविस्ट वरवरा राव की अचानक तबीयत बिगड़ गई. राव को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. सोमवार को उनकी तबियत ख़राब होते ही ससून अस्पताल में इलाज के लिए उन्हें भर्ती कराया गया है. राव को रविवार को विशेष न्यायालय ने 8 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा था. ज्ञात हो कि, भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी ऐक्टिविस्ट वरवरा राव को पुणे पुलिस ने हैदराबाद स्थित उनके घर से शनिवार को गिरफ्तार कर रविवार को अदालत में पेश किया था. जिसके बाद राव को 26 नवम्बर तक की पीसी का आदेश दिया था.
बता दें कि, पुलिस द्वारा की गई जांच में माओवादी कार्रवाइयों में राव की सहभागिता व भूमिगत रहने वाले माओवादियों से संपर्क रखने की पुष्टि होने पर विशेष न्यायाधीश किशोर वडणे ने आरोपी राव को २६ नवंबर तक की पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया है. राव भूमिगत माओवादी नेता गणपति के संपर्क में थे. साथ ही कश्मीर में मिलिटेंट्स को प्रशिक्षण देने की भी जानकारी सामने आई है. ज्ञात हो कि, राव को हैदराबाद कोर्ट ने घर में नजरबंद किया हुआ था, जिसकी मियाद शनिवार को पूरी हो गई. शनिवार को कोर्ट ने राव की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया, जिस वजह से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पुणे पुलिस के अनुसार, ‘हैदराबाद हाई कोर्ट ने राव की घर में नजरबंदी को बढ़ाया था, जो शनिवार समाप्त हो गया. इसके साथ ही हैदराबाद कोर्ट ने राव की एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद उन्हें पुणे पुलिस ने अरेस्ट कर लिया और उन्हें पुणे कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, जहां अदालत ने राव को पुलिस हिरासत में भेज दिया.
बता दें कि वामपंथी रुझान वाले तेलुगु कवि और लेखक वरवरा राव को पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित तौर पर संबंध होने के चलते गिरफ्तार किया था. महाराष्ट्र पुलिस ने राव सहित पांच कार्यकर्ताओं – अरुण फेरेरा, वर्नोन गॉनसैल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा- को कोरेगांव भीमा हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने पांचों को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था. उसके बाद से ये कार्यकर्ता नजरबंद थे. पुणे सेशंस कोर्ट ने इसी महीने भीमा कोरेगांव हिंसा में आरोपी अरुण फेरेरा, वर्नोन गॉनजैल्विस और सुधा भारद्वाज को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इससे पहले कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और तीनों को नजरबंद रखा गया था. गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में जातीय हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में 1 की मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में हिंसा फैल गई थी.