जलगांव(नरेंद्र इंगले): पांच साल सत्ता में रहने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बतौर पार्टी प्रचारक के रुप में राज्य में जनता के बीच रथयात्रा के जरीये जनादेश मांगने निकल पड़े हैं। यात्रा के लिए पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमीत शहा द्वारा पश्चिम बंगाल ओडीशा और कर्नाटक चुनावों में इस्तेमाल किए गए ऐतिहासिक विजयरथ का उपयोग किया गया। इस रथ की महिमा विधानसभा चुनावों के नतीजे ही तय करेंगे। इस यात्रा के सभी चरणों में जहां जहां मुख्यमंत्री की सभाएं हुयीं हैं उन तहसीलों के शहरों और गांवों में विकास को विभिन्न सरकारी योजनाओं के अंतर्गत सडकों के किनारे बैनरों पर लटकाया गया और पांच साल में शायद जो कुछ नहीं हो सका था वह महज कुछ घंटों में हो गया। मीडिया मुख्यमंत्री की जनसभाओं की कवरेज में इतनी व्यस्त हो गयी कि कहीं भी किसी पत्रकार परिषद में किसी भी पत्रकार ने राजनितिक सवालों के अलावा विकास से जुडे दूसरे सवाल पूछने की जहमत नहीं उठाई या फ़िर किन्हीं कारण वश मीडिया ने यह सब पुछना जरुरी नहीं समझा होगा क्योंकि विकास तो हुआ है भले ही वह आंशिक हो या प्रासंगिक।
यात्रा के लिए मुख्यमंत्री के जामनेर तहसील पधारने से ठीक पहले उनके रुट मे पड़ने वाले गांवों की मुख्य सड़कों पर जिला परिषद द्वारा शौचमुक्त ग्राम के रंगीन बोर्ड रोपे गए हैं और कुछ दिनों के लिए ही सही ग्रामीणों को भी खुले में शौचमुक्त ग्राम के नागरीक होने की अनुभूति और सम्मान प्राप्त हुआ है। ऐसे ही वाडीकिल्ला गांव के एक नागरिक ने खुले में शौचमुक्त ग्राम बोर्ड पर जानकारी देते बताया कि मुख्यमंत्री के आने के कुछ दिनों पहले ही इस बोर्ड को हमारे गांव में रोपा गया है। गांव में महज 50 घर हैं, प्रशासन सोनारी गृप ग्रामपंचायत से चलता है। वाडीकिल्ला से आगे राजमार्ग से बोदवड की ओर जाने पर नुक्कड से सोनारी गांव तक 2 की.मी के बीच सामाजिक वनीकरण विभाग द्वारा पौधारोपन का बोर्ड नजर आया यह काम 2018 – 19 में किया गया है पर सालभर में एक भी पौधा पेड़ की शक्ल नहीं ले सका यानी योजना के नाम पर पूरा पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। जामनेर तहसिल में करीब 198 गांव हैं जिनमें से 74 गांवों की वर्तमान पेयजल योजनाओं में लिप्त ठेकेदार राज की पोल सीईओ के सामने बहुत पहले खुल चुकी है।
खुले में शौचमुक्ति की पहल जनजागरण कम और प्रोपागैंडा अधिक रही इसमें जो कुछ काम सरकारी स्तर पर हुआ उसमें पार्टी विशेष के तत्वों को खासा आर्थिक लाभ होता रहा। अब इस खुले में शौचमुक्ति वाली योजना को लेकर कोई प्रशासन से आधिकारिक सुचना प्राप्त करने की कोशीश करे तो उसे कागजी पुलिंदों का जखिरा हासिल करने में कई साल लग जाऐंगे और मौखिक रुप से किसी अधिकारी से जानकारी हासिल करने का प्रयास हुआ तो वह सफ़ल होगा ही इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकता। क्षेत्र में लगभग सभी सरकारी योजनाओं को नीज थियरी के तहत चलाया गया। कुछ दिनों पहले चिंचोली पिंपरी के ग्रामीणों ने पानी फाउंडेशन का तहसील स्तरीय सम्मान यह कहकर संस्था को वापीस लौटा दिया कि उन्हे काबील होने के बावजुद राज्यस्तरीय पुरस्कार नहि दिया गया लेकिन सैकड़ों गांवों के लोगों को सरकारी बोर्ड से यह पता चलता है कि बगैर उनके सहयोग के उनका गांव खुले में शौच से मुक्त हो गया है। वैसे मंत्रियों के आगमन पर उनके आवभगत मे पलके बिछाने में महारत हासिल कर चुके प्रशासन की इस बेईमानी भरे ईमानदार तत्परता के लिए उन्हें विशेष सम्मान से जरुर नवाजा जाना चाहिए पर शर्त यह होगी कि जमीनी सच्चाई पर कोई सवाल नहीं पूछेगा या किसी प्रकार की पड़ताल नहीं करेगा शायद आज के कल्चर का यही शिष्टाचार बन गया है।