जामनेर : सामाजिक अंतर के अनुपालन से किनारा करते मजबूर लोग : पुलिस परेशान
जामनेर (नरेंद्र इंगले ): तालाबंदी का 21 दिनो का समय कब कटेगा इसी सोच मे एक एक दिन काट रहा समाज का वह हर एक तबका अब अपना संयम खोता नजर आने लगा है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पुरे 50 दिनो के बाद उठाए गए तालाबंदी के कदम की आहट अब काफी डरावनी होती नजर आ रही है.
मोदी सरकार ने जनधन खातो मे 500 रुपए जमा करवाए और इसी रकम को निकालने के लिए घर घर से महिलाओ को अपने बच्चो के साथ बैंको के बाहर कतार लगाना पड़ी. इसी बीच स्कॉलरशील का पैसा भी बैंको मे जमा हुआ है. कई पेंशनभोगी बैंको के बाहर अपनी पेंशन निकलने घंटो तक लाइनो मे खड़े नजर आ रहे है. जामनेर के महाराष्ट्र बैंक हि नही लगभग सभी बैंको के बाहर यहि आलम है. समाज का मध्यमवर्ग तथा दिहाड़ी मजदुर वर्ग इस आस से बैंको के बाहर लगा हुआ है की उन्हे उनका वह पैसा मिल जाए जो तालाबंदी की सफलता मे उनके योगदान को बल दे सके. डिजिटल इंडिया वाला फंडा हर किसी के बस की बात तो नही है.
प्रत्येक खाताधारक के पास ATM कार्ड भी नही जो ATM मशीन से पैसा निकाल सके. जिनके पास है वह ATM के बाहर कतारो मे लगे है. बैंको के बाहर लगती इसी भीड़ को सामाजिक अंतर वाले अनुशासित तरीके मे ढालने को लेकर पुलिस को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दुनिया के अन्य देशो की तरह भारत मे डोर स्टेप सर्विस जैसा सक्षम नेटवर्क भी नही है जिससे कि लोगो पर अपने घरो से बाहर निकलने की नोबत न आ सके. कोरोना के संक्रमण को रोकने का एक हि उपाय है भीड़ को जमा होने से रोकना क्यो की कोरोना पर कोई ठोस दवा नही है. इस वायरस से लड़ने के लिए सरकार के मेडिकल विंग्स की क्या हालत है यह सब जानते है. कोरोना के संक्रमण को लेकर बरती जा रही सामाजिक अंतर वाली वह तमाम सूचनाएं हवा होती दिखाई पड़ रही है जो सरकार की ओर से दी जा रही है.
कोरोना संक्रमण के केंद्र बन चुके मुंबई , पुणे जैसे महानगरो मे प्रशासन की ओर से भीड़ को इकट्ठा होने से रोकने के लिए धारा 144 तहत सख्त कदम उठाए जा रहे है. जलगांव मे कोरोना के कारण 2 लोगो की मौत हो जाने के बाद शहर मे काफी अहतियात बरता जा रहा है. जामनेर मे अब तक किसी तरह का कोरोना पोसिटिव का मामला प्रकाश मे नही आया है. आम लोग तालाबंदी और जमाबंदी का पालन कर रहे है. दिहाड़ी मजदुरी करने वाला बड़ा तबका अपनी रोजीरोटी के लिए जूझ रहा है. सरकार की ओर से उन तक न कोई राशन पहुचा है और न हि कोई सहायता. कर्फ्यू को लेकर सुबे की ठाकरे सरकार की वह नीतियां अवश्य सराहनीय है जो इन आम लोगो को जरूरी चीजो की खरीद को लेकर राहत प्रदान कर रही है.
40 हजार आबादी वाला जामनेर जिसके कानून व्यवस्था को महज 60 पुलिस कर्मी संचालित कर रहे है यह बात अपने आप मे इस लिए महत्वपूर्ण है क्यो की जनता ने जनसहयोग की अच्छी नजीर पेश की है. 14 अप्रैल से 21 दिनो की तालाबंदी खुलने की उम्मीद है इसी बीच सोशल मीडिया पर यह खबरे भी चलाई जा रही है कि तालाबंदी 30 अप्रैल तक चल सकती है. इन निराधार खबरो से लोगो मे खास किस्म का असहजता का माहौल बन रहा है. साफसफाई के विषय को आम लोग काफी गंभीरता से ले रहे है.