रंगमंच पर जब “सीगल’ (हंसिनी) ने मन मोह लिया
नईदिल्ली ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ) – देश की राजधानी दिल्ली में नाटकों का मंचन अब लगभग नियमित होने लगा है और इन नाटकों में आम लोगों की दिलचस्पी भी लगातार बढ़ रही है l नाटकों में आम लोगों की बढ़ती रूचि के चलते नई –नई प्रतिभाएं भी रंगमंच से जुड़ रही हैं l नई प्रतिभाओं और नए अभिनेता – अभिनेत्रियों का एक दिलचस्प मंचन पिछले दिनों नई दिल्ली के अक्षरा थिएटर में देखने को मिला l जब निर्देशक अशरफ अली ने ऋतू पराशर, राजीव कुमार, वंशिका टांग और सुमित नंदन जैसी नई उभरती प्रतिभाओं के साथ रूसी नाटक “सीगल” (हंसनी) का मंचन किया l
“सीगल” रूस के सर्वकालिक महान नाटककार और कहानीकार एंटनी चेखव का प्रसिद्द नाटक है l 1885 में लिखा यह नाटक मानवीय संबंधों के भीतर के खालीपन, असंतोष और इनसे उपजी पीड़ा को बखूबी चित्रित करता है, इसलिए आज भी दुनियाभर में अलग –अलग भाषाओँ में इसका मंचन होता है l 1898 में इस नाटक का मास्को में पहली बार प्रदर्शन हुआ था l
खचाखच भरे अक्षरा थियेटर में इसकी ताज़ा भारतीय प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया l नाटक के चार मुख्य पात्रों के बीच बड़ा नाटकीय और रोमांटिक संघर्ष दिखलाया गया है l नाटक में प्रेम त्रिकोणों की शृंखला है l मुख्य पात्रों में ऋतू पराशर, सुमित नंदन और राजीव कुमार ने दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरीं l अभिनय करना छोड़ चुकी एक ऐसी अभिनेत्री जो आज भी अपनी ही दुनिया में जी रही है के पात्र को निभाना बहुत आसान नहीं था l लेकिन ऋतू पराशर ने आर्कदीना के चरित्र का बखूबी अभिनय किया l हालांकि रंगमंच पर ऋतू पराशर की यह पहली प्रस्तुति थी लेकिन आर्कदीना के आतंरिक द्वन्द्व उनकी अदाओं और उसके नकारात्मक पक्ष को उन्होंने बखूबी निभा कर साबित कर दिया कि मंच पर भविष्य की बेहतरीन अभिनेत्री का पदार्पण हो गया है l