विक्रम राणा!!! यह नाम सुनते ही हमारे कानों में शंख की मधुर ध्वनी गूंजने लगती है. हो सकता है कई लोगों ने विक्रम राणा का नाम न सुना हो, लेकिन जिसने भी सुना है, वह उन्हें शंख विक्रम के नाम से जानता है. शंख विक्रम को शंख बजाने की दैविक शक्ति प्राप्त है. वे कई घंटों तक अनवरत शंख बजा सकते हैं. उनकी इसी प्रतिभा के कारण संपूर्ण भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शंख विक्रम को शंख नाद के लिए सादर आमंत्रित किया जाता है. प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में जब शंख विक्रम अपने मुख पर शंख रखते और आंख बंद कर शंख का नाद करते हैं, तो संपूर्ण वातावरण में दैविकता का आभास होता है. लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. शंख विक्रम के शंख की ध्वनी का प्रभाव ऐसा और इतना होता है कि जहां तक शंख विक्रम के शंख की ध्वनी पहुंचती है, लोगों उस स्थल तक खिंचे चले आते हैं और मौन-ध्यान से शंख विक्रम की शंख ध्वनी सुनते रहते हैं.
कई लोगों को विश्वास नहीं होता था कि शंख विक्रम अनवरत शंख बजा सकते हैं, ऐसे लोगों ने अनेकानेक बार शंख विक्रम की परीक्षा लेने का भी प्रयास किया, लेकिन अंतत: वे शंख विक्रम की शंख ध्वनी सुन कर नि:शब्द ही हुए हैं.
अमूमन शंख विक्रम जैसी विभूतियों के प्रति आधुनिकता का आवरण ओढ़ कर रखनेवाले लोगों के मन में धारणा होती हैं कि ये लोग कम पढ़े पढ़े-लिखे होते हैं, लेकिन यहां यह बताना आवश्यक है कि शंख विक्रम शिक्षित प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के धनी हैं और आरंभ में उनके प्रति धारणा बनानेवाले लोग उनके संपर्क में आने के बाद उनकी प्रतिभा और उनके वलय के सामने नतमस्त हो जाते हैं.
– शंख विक्रम का शंख वादन
शंख में बारे में कहा जाए, तो जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया था, तब समुद्र से 14 रत्न निकले थे, जिसमें छठवां रत्न शंख था. यह कहना गलत नहीं होगा, कि यदि शंख को वाद्य माना जाए, तो शायद यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रथम वाद्य है. यह एक दैविक वाद्य है, जो अमूमन सभी देवी-देवता धारण करते हैं. शंख बजाने से संपूर्ण प्राणायाम होता है. इससे पूरक, कुम्भक और रेचक जैसी प्राणायाम क्रियाएं एक साथ हो जाती हैं. सांस लेने से पूरक, सांस रोकने से कुम्भक और सांस छोड़ने की क्रिया से रेचक सम्पन्न हो जाती हैं. इसके अलावा हृदय रोग, रक्तदाब, सांस सम्बन्धी रोग, मन्दाग्नि आदि में मात्र शंख बजाने से पर्याप्त लाभ मिलता है. यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष दूर होते हैं. इससे फेफड़ों के रोग भी दूर होते हैं, जैसे दमा, कास प्लीहा यकृत और इन्फ्लूएन्जा रोगों में शंख ध्वनि फायदेमंद है. अगर किसी को खांसी, दमा, पीलिया, ब्लडप्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे छुटकारा पाने का एक सरल-सा उपाय है. शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है. शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सृजन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है. शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है. प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते.
– शंख विक्रम के बारे में
शंख विक्रम मूल रूप से मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर के निवासी है. श्री एन.डी. राणा के पुत्र शंख विक्रम का जन्म 15 जुलाई 1977 को ग्वालियर में ही हुआ. आरंभिक शिक्षा के बाद राणा ने हार्डवेयर इंजीनिरिंग में डिप्लोमा किया. लेकिन शंख विक्रम की बचपन से ही योगा, संगीत, ध्यान सहित धार्मिक कार्यों में भी गहन रुचि रही है. इसलिए वे आरंभ से ही अपनी रुचियों को भी अपने साथ ही लेकर जीवन का सफर तय कर रहे. उनकी ये रुचियां उनके साथ रहनेवालों को, युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करती थी. वे सदैव ही युवाओं का या उनके संपर्क में आनेवाले का संस्कारित मार्गदर्शन करते रहते हैं. वे आज भी युवाओं को सदैव कुछ नया खोजने, कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते हैं. संगीत में रुचि होने के कारण ही उन्होंने केसियो, पियानो, तबला जैसे वाद्य सीखे और उसमें भी पारंगतता हासिक की. ध्यान-योग-साधना में रुचि के कारण ही और धार्मिक पुस्तकों में जब शंख विक्रम ने शंख के बारे में पढ़ा, तो उनके मन में जिज्ञासा निर्माण हुई और उन्होंने शंख बजाना शुरू किया. आश्चर्यजनक रूप से जब शंख उनके होठों से स्पर्श हुआ, तो फिर वह आज तक नहीं छूटा. प्रथम बार में ही उन्होंने करीब 15 मिनट तक शंख नाद कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था. इसके बाद लगातार अभ्यास ने उन्हें शंख नाद में पारंगत कर दिया. शंख विक्रम का अभ्यास और दैविक आशीर्वाद के कारण शंख विक्रम आज कई घंटों तक शंख नाद करने में सक्षम हैं. शंख नाद करने के लिए उन्हें विभिन्न आयोजनों में आमंत्रित किया जाने लगा. आरंभिक दिनों में धार्मिक कार्यक्रमों में उन्होंने शंख नाद करना शुरू किया, लेकिन उनकी ख्याति इस कदर बढ़ती गई कि अनेक गैर धार्मिक कार्यकमों में भी उन्हें आमंत्रित किया जाने लगा.
– 1000 से अधिक मंचों पर दे चुके प्रस्तुति
आज ग्वालियर के इस होनहार शंख वादक पर पूरे ग्वालियर को गर्व है. ग्वालियर के बाहर की भी कई संस्थाएं उन्हें शंख वादन के लिए आमंत्रित करती है. शुरू में उनके शंख वादन पर लोग हंसा करते थे. लेकिन आज आलम यह है कि लोग उनका शंख वादन सुनने के लिए ललाइत रहते हैं. शंख विक्रम आज तक 1000 से ज्यादा मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं. उन्होंने भजन सम्राट अनूप जलोटा, गायक लखवीर सिंह लक्खा, बॉलिवुड सिंगर गुरु रंधावा, डब्बू अंकल आदि विभूतियों के साथ मंच साझा किया है. इसके अलावा कोरियोग्राफर सरोज खान से भी आपकी विस्तृत मुलाकात हो चुकी है और सरोज खान ने भी शंख विक्रम की इस अद्भूत प्रतिभा की सराहना की.
– अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित विक्रम राणा अभी तक 1000 से अधिक विभिन्न कार्यक्रमों में शंख नाद कर चुके हैं. उनकी इस विलक्षण प्रतिभा के कारण अनेक सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं के साथ अनेक एनजीओ ने भी उनका सम्मान किया है.
– इन संस्थाओं ने किया सम्मानित
* मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम-इंदौर द्वारा पर्यटन स्थल हनुवंतिया में 2 जनवरी 2017 में आयोजित जल महोत्सव में शंख विक्रम को शंखनाद के लिए श्री तपन भौमिक के हाथों विशेष रूप से सम्मानित किया.
* इसके अलावा 21 जनवरी 2017 को ग्वालियर के सबसे प्रतिष्ठित तानसेन संगीत समारोह के एक दिन पूर्व आयोजित होनेवाले ‘गमक’ में भजन सम्राट अनूप जलोटा, ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर राहुल जैन तथा जयभान सिंह पवैया, ग्वालियर के तत्कालीन एसपी डॉ. आशीष की प्रमुख उपस्थिति में शंख विक्रम को विशेष सम्मान प्रदान किया गया.
* ग्वालियर के स्वयंभू गरगज के हनुमान मंदिर की सेवा के लिए स्थापित श्री गरगज सेवा समिति की ओर से अक्टूबर 2016 में गरबा डांडिया महोत्सव में सम्मानित किया गया.
* आनंदक विभाग के तत्कालीन एडीएम शिवराज वर्मा, ग्वालियर के पूर्व कलेक्टर डॉ. संजय गोयल, आनंदक सहयोगी डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा के समक्ष आनंदक विभाग की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया.
* दतिया में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के डॉ. राघवेन्द्र शर्मा के हाथों स्मृति चिन्ह प्रदान कर शंख विक्रम को सम्मनित किया गया. इस समय सतीश शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
* 14 जुलाई 2017 को ग्वालियर कलेक्टर कार्यालय की ओर से आयोजित हरियाली महोत्सव, वृक्षारोपण कार्यक्रम में गौरीशंकर बिसेन तथा श्रीमती माया सिंह की प्रमुख उपस्थिति में शंख विक्रम का सम्मान किया गया.
* शंख विक्रम ने ग्वालियर संभाग के स्कूलों में आयोजित ग्रीष्मकालीन 60 दिन के शिविर में विभिन्न स्कूलों में शंखनाद कर बच्चों को भी शंखनाद के बारे में जानकारी देते हुए ध्यान कैसे केन्द्रित किया जाए, इस बारे में मार्गदर्शन किया.
* शंख विक्रम ने संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में भी शंखनाद कर एक प्रकार से संगीत सम्राट तानसेन का आशीर्वाद प्राप्त किया है.
* इसके अलावा शंख विक्रम ग्वालियर सहित दतिया, दिल्ली, मुंबई में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शंखनाद का प्रदर्शन कर चुके है.
* मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के दौरान निकाली एकात्म यात्रा के दौरान ग्वालियर में शंख विक्रम को सम्मानित किया.
* वर्ष 2017 में श्रीराम राजेश्वरी सेवा संस्थान की ओर से सरताज ऑफ ग्वालियर का आयोजन डॉ. भगवत सहाय सभागार में किया गया था. इस समय शंख विक्रम को ग्वालियर गौरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर संत कृपाल सिंह महाराज, मुन्नालाल गोयल, तत्कालीन एडीएम शिवराज वर्मा, आर.के. त्रिपाठी, संस्था की अध्यक्ष राजेश्वरी देवी, उपाध्यक्ष सरला शर्मा, आरती भारद्वाज, संजय भारद्वाज आदि उपस्थित थे.
* कैलाश मानसरोवर यात्रा और तिब्बत की मुक्ति के लिए भारत-तिब्बत मंच की ओर से दिल्ली के इंदिरा गांधी कला केन्द्र में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में शंख विक्रम ने करीब 10 मिनट तक लगातार शंख वादन कर यहां उपस्थित सभी अतिथियों को अचंभित कर दिया. इस अवसर पर तिब्बत के निवर्तमान राष्ट्रपति और भारत-तिब्बत मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी, मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष सतीश शर्मा, ग्वालियर महिला अध्यक्ष समीक्षा गुप्ता, ग्वालियर जिला अध्यक्ष विवेक तोमर, आदि उपस्थित थे. इस शंख वादन से इंद्रेश कुमार इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शंख विक्रम को अपना आशीर्वाद देते हुए मानसरोवर की यात्रा के लिए निमंत्रण दिया.
* इसके अलावा उन्हें केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, मध्य प्रदेश पर्यटन निगम के पूर्व अध्यक्ष तपन भौमिक, भाजपा नेता राजेश सोलंकी, मां कनकेश्वरी देवी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महिला पतंजलि समिति ग्वालियर, आनंदक विभाग सहित अनेक समाजिक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया है.
– शंख विक्रम की भावी अभिलाषाएं
शंख नाद शंख विक्रम का अब शौक नहीं रहा, बल्कि यह अब उनका जुनून बन चुका है. शंख विक्रम की मंशा तो संपूर्ण धरा पर ही शंखनाद करना है. इसके लिए वे सदैव प्रयासरत रहते हैं. लेकिन इन दिनों वे गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए शंखनाद का प्रसास कर रहे हैं. इसके लिए वे गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रशासन के संपर्क में भी है और वे भी शंख विक्रम की इस प्रतिभा में रुचि दिखा रहे हैं.
– शंख विक्रम बाघा बॉर्डर पर हमारे देश के जांबाज सैनिकों के लिए उनके बीच शंखनाद करने की मंशा रखते है. इसके लिए भी वे लगातार रक्षा मंत्रालय से संपर्क बनाए हुए हैं.
– शंख विक्रम दिल्ली के लाल परेड मैदान पर स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन संपूर्ण देश के समक्ष करना चाहते हैं.
– अन्य गतिविधियां
* ग्वालियर के एडीजी श्री राजाबाबू सिंह ने ग्वालियर के प्रतिष्ठित विक्रांत कॉलेज सहित अनेक कॉलेजों के विद्यार्थियों को श्री भगवत् गीता का वितरण किया था. साथ ही इन कॉलेजों के अलावा विभिन्न पुलिस थानों में पौधा रोपण उन्होंने किया था. इन सभी कार्यक्रमों का शुभारंभ शंख विक्रम के पवित्र शंख नाद से किया गया. विशेष बात यह रही कि एडीजी श्री राजाबाबू सिंह ने शंख वादन के आध्यात्मिक व भौतिक महत्व को समझते हुए अपने लगभग सभी कार्यक्रमों में शंख विक्रम से शंख नाद करवाया. उनका स्नेह व सहयोग सदैव ही शंख विक्रम को मिलता रहा है.
* शंख विकम की उपलब्धियों के बारे में स्थानीय मीडिया में समय-समय पर खबरें और लेख प्रकाशित होते रहते हैं. इसी कड़ी में मध्य भारत के प्रमुख अखबार ‘नवभारत’ में भी शंख विक्रम के बारे में विस्तार पूर्वक लेख प्रकाशित किया था, जिसे चंबल संभाग के पाठकों की ओर से काफी सराहा गया.
* 17 जून 2018 को ग्वालियर में आयोजित वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला का शुभारंभ शंख विक्रम के शंख नाद से किया गया.
* ग्वालियर में भारतीय मजदूर संघ के दो दिवसीय अधिवेशन का आगाज भी शंख विक्रम के शंख नाद से हुआ.
* प्रतिवर्ष ग्वालियर में हिन्दू नववर्ष के शुभारंभ पर परिधावीनाम नव संवत्सर स्वागत महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस महोत्सव का शुभारंभ भगवान सूर्य को सामूहिक रूप से अर्घ्य देकर किया जाता है. पिछले कुछ वर्षों से इस महोत्सव का शुभारंभ शंख विक्रम के शंख नाद से किया जा रहा है. इस समय यह दृष्य इतना मनोरम होता है कि संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो जाता है. दूर क्षितिज पर अपनी लालीमा के साथ भगवान सूर्य नारायण उदय होते है और ग्वालियरवासी सूर्य मंत्र के साथ अर्घ्य अर्पण करते हैं और इस बीच शंख विक्रम की मधुर शंख ध्वनी संपूर्ण वातावरण को पवित्र कर देती है.
* पिछले दिनों शंख विक्रम और शहर के पत्रकार देवेन्द्र शिवहरे तथा मध्यप्रदेश शासन आनंद विभाग की ओर से 5 दिवसीय अल्पविराम शंखनाद व योगासन शिविर का आयोजन किया गया. इस समय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आनंद विभाग ग्वालियर के तत्कालीन एडीएम श्री शिवराज वर्मा के हाथों उनका सत्कार किया गया. इस समय आनंदम सहयोगी डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा भी उपस्थित थे. यहां उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम के दौरान शंख विक्रम और पत्रकार देवेन्द्र शिवहरे की ओर से बच्चों को खिलौनों का वितरण किया गया. ये खिलौने पा कर बच्चों में खुशियां छा गई.
शंख वादन का नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं शंख विक्रम
शंख विक्रम का कहना है कि मैं भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहता हूं. इसके लिए मैं शहर के कई लोगों को शंख वादन का नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रहा हूं. उन्होंने बताया कि शंख बजाने से कई तरह की बीमारियां जैसे फेफड़े एवं हृदय संबंधी बीमारियां ठीक हो जाती है. वे जहां भी शंख बजाते हैं, वहां शंख से होनेवाले फायदों के बारे में अवश्य जानकारी देते हैं.
– माता-पिता को कामयाबी का श्रेय
शंख विक्रम अपनी इस कामयाबी का पूरा श्रेय अपनी माता लक्ष्मी और पिता नारायण को देते हैं. इसके साथ ही वे अपनी पत्नी मीनाक्षी, बेटे सक्षम के साथ अपने परम मित्र संजय भारद्वाज, देवेन्द्र शिवहरे, अनुप पांडेय, हेमंत निगम, सतीश शर्मा और उन सभी साथियों को देते हैं, जिन्होंने उन पर विश्वास रखा और हमेशा उनका साथ दिया.
– शंख विक्रम से इस नंबर पर करें संपर्क
9131664356
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