पुणे (तेज समाचार डेस्क). अभी ठंडी का महीना चल ही रहा है कि जिले में जल किल्लत का संकट गहरा गया है. दूरदराज के गावों में जलापूर्ति करने के लिए पिछले महीने भर में टैंकरों की संख्या दोगुनी हो गयी है. अभी जिले के सात तहसीलों में 26 गांव और 371 बस्तियों पर 46 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है. सोचिए गर्मी में क्या हाल होगा.
इस बार कम बारिश के चलते जिले के जलाशयों में संग्रहण काफ़ी कम है. वापसी की बारिश के चकमा देने के कारण जनवरी के माह में ही जल किल्लत का संकट गहरा गया है. इस गंभीर स्थिति में पानी का नियोजन कैसे करें, इस पर अब प्रशासन माथापच्ची कर रहा है. भविष्य में होने वाली जलकिल्लत को देखते हुए जिला परिषद प्रशासन में दो माह पहले ही हलचल तेज़ हो गयी थी. जलकिल्लत में पानी का सुचारू नियोजन होने के उद्देश्य से जिलाधिकारी समेत जिला परिषद के अध्यक्ष विश्वास देवकाते, मुख्य कार्यकारी अधिकारी सूरज मांढरे ने सूखाग्रस्त स्थिति की जानकारी के लिए सेल का निर्माण किया.इस समय बारामती, दौंड, पुरंदर, शिरूर, जुन्नर, आंबेगांव एवं इंदौर तहसीलों में टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है. इसमें बारामती तहसील में 16 टैंकरों से 11 गावों और 140 बस्तियों को 31 हजार 717 लोगों के लिए पानी पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा दौंड तहसील के चार गांवों और 63 बस्तियों के 12 हजार 388 लोगों की प्यास टैंकर के पानी से बुझाई जा रही है. आंबेगांव के 3 गांव और 15 बस्तियों में 4 टैंकर शुरू है. पुरंदर में 3, जुन्नर तहसील में 2 तथा इंदापुर में एक टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है. इन तीनों तहसीलों के 6 गांव तथा छह बस्तियों के 8 हजार 704 लोगों को टैंकर से पानी दिया जा रहा है.
इस बीच टैंकर से जिन गांवों को जलापूर्ति हो रही है, उन्हें इन टैंकरों से साफ-सूथरा पानी दिया जाए. स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर इस संदर्भ में जांच करें, ऐसे निर्देश तहसील स्तर के अधिकारियों को दिए गए है, ऐसी जानकारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप माने ने दी.